Dussehra Story | दशहरा की कहानी: बुराई पर अच्छाई की विजय

दशहरा की कहानी

जाने कैसे भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की।


दशहरा की कथा | Dussehra Story

दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे विजय दशमी भी कहा जाता है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस पर्व को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मानने के पीछे के कारण की बात करें तो मान्यता है कि इसी तीन राम ने रावण का वध किया था, और माता दुर्गा ने आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर ही महिषासुर का संहार किया था।

देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा | Devi Durga & Mahishasur Story

विजयदशमी मनाने के पीछे एक कथा महिषासुर वध से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि महिषासुर बेहद बलशाली और अहंकारी राक्षस था, जिसने अपनी अपार शक्ति से देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था। महिषासुर के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए देवता भयभीत होकर त्रिदेवों, यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की शरण में गए। इन तीनों शक्तियों के प्रभाव से माता दुर्गा अवतरित हुईं, जिन्होंने महिषासुर के साथ भीषण युद्ध किया। नौ दिनों तक चले इस युद्ध में तीनों लोक विजय की आस लगाए बैठे थे। अंत में दसवें दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का संघार कर पृथ्वी और स्वर्ग लोक को उसके आतंक से मुक्त किया। इस तरह देवताओं के स्वर्ग पर पुनः अधिकार पाने और महिषासुर की पराजय की याद में भी विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है।

राम द्वारा रावण वध की कथा | Ravan Vadh Katha

दशहरे की कथा की बात हो तो इसमें राम द्वारा रावण के वध की कथा प्रमुख है। जब लंका के राजा रावण ने माता सीता का अपहरण किया, तो भगवान राम ने अपनी धर्मपत्नी को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया। राम के साथ उनके भाई लक्ष्मण, परम भक्त हनुमान और वानर सेना भी थी। यह युद्ध केवल राम और रावण के बीच ही नहीं, बल्कि धर्म और अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई थी। कहांश जाता है कि 9 दिनों तक चले इस महासंग्राम में भगवान श्री राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी, और 10 में दिन रावण का वध करके मुझे प्राप्त की। विजयदशमी का पर्व इसी विजय के प्रति के स्वरूप में मनाया जाता है, जो ये दर्शाता है कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हों।

दशहरा की धार्मिक मान्यताएं

दशहरा के दिन से कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं। ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार, इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करने से जीवन में सुख समृद्धि और सौभाग्य आता है।

दशहरे के दिन हनुमान जी को मीठी बूंदी और पान अर्पित करने और स्वयं भी पान खाने का विशेष महत्व है। इसे मान-सम्मान, प्रेम और विजय का प्रतीक माना जाता है। रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाना सत्य की जीत का उत्सव मनाने का संकेत है।

FAQ:

प्रश्न: दशहरा 10 दिनों तक क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: दशहरा से पहले 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना की जाती है, जिसे नवरात्रि कहते हैं। नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। दसवीं दिन को विजयदशमी कहते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।

प्रश्न: दशहरा का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर: दशहरा का मुख्य संदेश है गीत धर्म और अच्छाई की हमेशा जीत होती है, अधर्म चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो।

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