श्री गणेश जी के मंत्र: अर्थ और लाभ | Ganesh Ji Mantra
हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में श्री गणेश को प्रथम-पूज्य देवता माना गया है। भगवान श्री गणेश धन, बुद्धि, लक्ष्मी के दाता हैं।
वे विघ्नों का हरण कर जीवन में शुभता देते हैं जिससे सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं। यहां हम श्री गणेश के मंत्र एवं उनके अर्थ के बारे में बता रहे हैं।
यहां दिए श्री गणेश मंत्र का जाप करने से जीवन की हर समस्या का समाधान पाया जा सकता है। यहां पढ़ें गणपति जी के खास मंत्र:
लेख में-
- सर्व शक्तिशाली गणेश मंत्र।
- श्री गणेश मूल मंत्र।
- श्री गणेश गायत्री मंत्र
1. सर्व शक्तिशाली गणेश मंत्र-
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
मंत्र का अर्थ:
जिनकी सूंड वक्र यानी की टेढ़ी है, जिनका शरीर विशालकाय है, जिनकी आभा करोड़ों सूर्यों से बढ़कर है। ऐसे भगवान श्री गणेश हमेशा ही मेरे सभी कार्यों को निर्विघ्न और सफलता पूर्वक सम्पन्न होने का आशीष प्रदान करें।
मंत्र का लाभ:
हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी के इस मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र के जाप से कार्य में सफलता मिलता है। ये मंत्र भगवान गणेश के उपासकों के लिए विशेष फलदायी होता है।
2. श्री गणेश मूल मंत्र:
ॐ गं गणपतये नमः।
मंत्र का अर्थ:
हे समस्त गणों के अधिपति श्री गणेश, आपको मेरा नमस्कार हो।
मंत्र का लाभ:
ये भगवान गणेश का मूल मंत्र है। इसे भगवान गणेश का बीज मंत्र भी कहा जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने से पहले इस मंत्र का जाप करने से वो असफल नहीं होता है। इस मंत्र को अध्यात्म और योग साधना के लिए प्रयोग किया जाता है।
3. श्री गणेश गायत्री मंत्र:
ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।
मंत्र का अर्थ:
जिनका एक दांत और मनोहर मुख है, जो अपने शरणागत भक्तजनों के रक्षक हैं तथा समस्त प्राणी जनों की पीड़ा का नाश करने वाले हैं, ऐसे उन शुद्ध स्वरूप भगवान श्री गणपति को हमारा नमस्कार है ।
मंत्र का लाभ:
इस गणेश गायत्री मंत्र के जाप से मनुष्य को करियर में शीघ्र सफलता मिलती है और हर कार्य सिद्ध होने लगता है।
इस प्रकार के अनमोल मंत्रों की जानकारी के लिए देखें श्रीमंदिर साहित्य।