गोवर्धन मंत्र | Govardhan Mantra
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस पर्व का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने की लीला का स्मरण किया जाता है। गोवर्धन पर्वत को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है। इस पूजा के माध्यम से प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। इस पर्व का संदेश है कि हमें अहंकार का त्याग करके प्रकृति और सभी जीवों के प्रति सम्मान रखना चाहिए।
अगर आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी स्तुति और मंत्र का जाप अवश्य करें, जो इस प्रकार है-
गोवर्धन पूजा मंत्र
“गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।”
श्री कृष्ण का शक्तिशाली मंत्र
“श्री कृष्णाय वयं नुम: सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।। ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”