रक्षा बंधन से जुड़ी 10 रोचक बातें
रक्षा बंधन एक ऐसा पर्व है जिसे निरपेक्षता से भारत का हर व्यक्ति मनाता है। हिंदू धर्म में तो विशेषतः इस पर्व की एक अनन्य मान्यता है। रक्षा बंधन का त्योहार, भाई-बहन के खट्टे-मीठे रिश्ते का प्रतीक होता है। तभी तो अपने प्यारे भाई को राखी ना बांधकर, जैसे किसी बहन का दिन ही पूरा नहीं होता। सावन के महीने की अंतिम पूर्णिमा तिथि को यह पर्व, अत्यंत धूमधाम से हर घर में मनाया जाता है।
वैसे तो इस पावन पर्व से जुड़ी अनेक मान्यताएं एवं किंवदंतियाँ मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी 10 ऐसी रोचक बातों के बारे में बताएंगे, जो इससे पहले शायद ही आपने सुनी होंगी। तो आइए जानते हैं, रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ रोचक बातें:
कैसे पड़ा इस त्योहार का नाम रक्षा बंधन?
क्या आप जानते हैं, कि इस त्योहार का नाम रक्षा बंधन क्यों पड़ा? दरअसल ऐसी मान्यता है, कि राखी को शुरुआत से ही ‘रक्षा सूत्र’ कहा जाता था। ‘रक्षा सूत्र’ वेद के संस्कृत शब्द रक्षिका से लिया गया है, जिसका सरल अर्थ है ‘रक्षा करने वाला’। ऐसा नहीं है, कि रक्षा बंधन की परंपरा हाल ही में शुरू हुई हो। अपने किसी भी प्रिय व्यक्ति को रक्षा सूत्र बांधने की ये रीति वैदिक काल से ही चली आ रही है।
हर प्रांत में अलग है पर्व का नाम
आम बोलचाल की भाषा में जहाँ रक्षा बंधन को राखी का त्यौहार कहा जाता है, वहीं भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतों में इस पर्व के नाम भी अलग-अलग हैं। जहाँ दक्षिण में रक्षा बंधन को नारियय या नारली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। तो वहीं, राजस्थान में यह पर्व रामराखी या चूड़ाराखी के नाम से भी जाना जाता है। प्रांत भले ही अलग क्यों ना हों, लेकिन पर्व की मिठास एक जैसी ही रहती है।
पांचाली की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है ये त्योहार
रक्षा बंधन के पावन पर्व को, द्रौपदी और श्री कृष्ण के मधुर रिश्ते के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है, कि एक बार पांचाली और श्री कृष्ण पतंग उड़ा रहे थे। ऐसे में अचानक पतंग की डोर से कृष्ण की उंगली कट गई। द्रौपदी को जब कोई और रास्ता नहीं दिखा, तो उन्होंने अपनी साड़ी के आँचल का एक टुकड़ा फाड़कर, कृष्ण की उंगली में बांध दिया। कालांतर में जब दुशासन ने भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया, तब श्री कृष्ण ने ही उनकी रक्षा की थी।
रक्षा सूत्र बांधने का होता है एक मंत्र
क्या आप जानते हैं, कि रक्षा सूत्र जिसे आम भाषा में राखी कहा जाता है, उसे बांधने का एक विशेष मंत्र होता है? ऐसा माना जाता है, कि जब कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती है, तो उसे इस मंत्र को बोलना चाहिए:
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल:।।
इस मंत्र का अर्थ है, जिस बंधन से दानवों के राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा सूत्र को मैं तुम्हें बांधती हूँ, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
कृष्ण ने दी थी युधिष्ठिर को राखी का त्यौहार मनाने की सलाह
राखी के इस पावन त्योहार के साथ ये कथा भी जुड़ी हुई है, कि जब महाभारत के युद्ध के समय पांडव-ज्येष्ठ युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पूछा, कि वो सभी संकटों को कैसे पार कर पाएंगे। तब श्री कृष्ण ने उन्हें उनकी समस्त सेना के साथ, राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।
सिकंदर से भी जुड़ी है इस त्यौहार की कथा
कहा जाता है, कि जब सिकंदर ने भारत पर हमला किया था, तब उसका सामना राजा पुरू से हुआ। जब सिकंदर की पत्नी को भारत में रक्षा बंधन के महत्व के बारे में पता चला, तब उन्होंने पुरू को राखी बांधते हुए उनसे सिकंदर पर हमला ना करने की प्रार्थना की। ऐसे में अपनी बहन का मान रखते हुए, पुरू ने सिकंदर पर हमला नहीं किया था।
राजपूतों में है पर्व का विशेष महत्व
कहते हैं, जब भी कोई राजपूत युद्ध के लिए बाहर जाता था, तब स्त्रियाँ उनका तिलक करने के साथ-साथ उनकी कलाई में रक्षा सूत्र बांधती थीं। यह धागा, विजय का संकेत माना जाता था।
चित्तौड़ की रानी ने बांधी थी हुमायूँ को राखी
इस पर्व के बारे में ये रोचक कथा भी प्रचलित है, कि जब मुग़लों के राजा हुमायूँ ने चित्तौड़ पर हमला करने की रणनीति बनाई थी, तब चित्तौड़ की रानी ने उन्हें राखी बांधकर, अपने राज्य की रक्षा की थी।
सिर्फ़ भारतवर्ष में ही नहीं मनाया जाता ये पर्व
आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी, कि रक्षा बंधन का त्योहार सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। इसमें श्रीलंका और मॉरिशस जैसे देश शामिल हैं।
रक्षा बंधन के मंत्र में क्यों आता है बलि का नाम?
जब वामन बनकर भगवान विष्णु ने राजा बलि की सारी ज़मीन दान में मांग ली थी, तब राजा बलि ने विष्णु को अपने पास रख लिया था। ऐसे में माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर, भगवान को उनसे मांगा था।
अगर आपको रक्षा बंधन के पावन पर्व के बारे में यह रोचक तथ्य अच्छे लगे, तो श्रीमंदिर वेबसाइट पर उपलब्ध रक्षाबंधन से संबंधित अन्य कहानियों को अवश्य पढ़ें।