पितृ दोष तब होता है जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट होती हैं। इसका मुख्य कारण पूर्वजों का उचित श्राद्ध कर्म न करना, उनके निमित्त तर्पण या पिंडदान न करना, जीवित होने पर उनका अपमान करना और मृत्यु के बाद विधिवत् क्रिया कर्म न करना। कुंडली में सूर्य, राहु, शनि का अशुभ संयोग भी पितृ दोष को उत्पन्न करता है, जिससे जीवन में धन प्राप्ति, स्वास्थ्य, संतान सुख, और वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या लड़कियों को भी पितृ दोष हो सकता है। चलिए इस लेख में इसका जवाब जानते हैं।
क्या लड़कियों को भी पितृ दोष होता है? | Kya Ladkiyon Ko Pitra Dosh Hota Hai
इस विषय में कई मत हैं, परंतु धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्मों का का फल हर व्यक्ति को भुगतना पड़ता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष। इसी प्रकार पितृ दोष का प्रभाव भी केवल पुरुषों पर ही नहीं, बल्कि स्त्रियों पर भी हो सकता है। हालांकि कुछ मान्यताओं के अनुसार स्त्रियों को मुख्यत: मातृ ऋण या मातृ दोष भोगना पड़ता है।
मातृ दोष क्या है?
यदि कुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होकर शनि, राहु, मंगल आदि क्रूर ग्रहों से युक्त हो और गुरु अकेला पंचम या नवम भाव में है, तब मातृ दोष होता है।
लड़कियों को कब होता है पितृ दोष?
यदि किसी स्त्री ने अपने पूर्वजों, विशेष रूप से घर की माता तुल्य स्त्री का अनादर किया है या उनके श्राद्ध-तर्पण आदि कर्मों में कोई चूक की है, तो अगले जन्म में उसे इसका फल मिल सकता है। यदि उसकी कुंडली में सूर्य और राहु या शनि का अशुभ योग है, तो ये पितृ दोष का संकेत हो सकता है।
जिस स्त्री की कुंडली में सूर्य और राहु का संयोग पांचवे भाव में होता है, उनके परिवार में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे पति के परिवार में कलह, संतान सुख न मिलना या संतान होने के बाद भी उसका शारीरिक रूप से अक्षम होना, और संतान का स्वभाव कठोर होना। ऐसी स्थिति में स्त्रियों पर पितृ दोष माना जाता है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए शास्त्रों में कई उपाय सुझाए गए हैं। जैसे:-
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अपने पूर्वजों का सम्मान करना, उनकी आत्मा की शांति के लिए सभी आवश्यक क्रिया कर्म करना, हर अमावस्या के दिन अपने पितरों के नाम पर दान, भोजन, और वस्त्र दान आदि से पितृ दोष निवारण होता है।
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ब्रह्मा पुराण में कहा गया है कि पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पितृ पक्ष में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करना अति आवश्यक होता है।
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ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष निवारण के लिए व सूर्य, राहु और शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंत्र जाप, यज्ञ, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना भी लाभकारी होता है।
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मातृदोष से पीड़ित जातकों को जल में चांदी प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा प्रतिदिन माता-पिता के चरण स्पर्श करने से भी मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
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हर अमावस्या और मंगलवार के दिन प्रातः शुद्ध होकर पितरों को गंगाजल व काला तिल मिश्रित जल से तर्पण करें और जल देते समय 3 बार 'ऊं सर्वपितृदेवाय नम:" का उच्चारण करें।
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वहीं धर्म शास्त्र के जानकारों के अनुसार स्त्रियां अपने पितरों के प्रति सम्मान का भाव रखने और भगवान विष्णु के सुमिरन करते से भी सहजता से पितृ दोष से छुटकारा पा सकती हैं, उन्हें कोई विशेष अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं होती है।