Kans Vadh 2024, Kans Vadh Story | कंस वध 2024, कंस वध की कथा

कंस वध की कथा

कंस वध की कथा: जानें श्रीकृष्ण ने कैसे किया कंस का वध, धर्म की जीत और अधर्म के नाश की यह प्रेरक कहानी!


कंस वध की कथा | Kans Vadh Story

भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं के बारे में तो हम सब जानते हैं। कान्हा कभी माखन चोर बने तो कभी पांडवों के दूत बनकर कौरवों की सभा में विराट रुप दिखाया। कभी नटखट लीलाओं से सबको मोहित किया, तो कभी परिवार के मोह में फंसे अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। भगवान की ऐसी ही एक लीला थी अपने मामा 'कंस' का वध करने की।

इस लेख में आप ये जानेंगे!

  • कंस वध कब और क्यों मनाया जाता है?
  • साल 2024 में 'कंस वध' कब पड़ रहा है?
  • कंस वध का महत्व क्या है?
  • कंस वध की पौराणिक कथा

कंस वध कब और क्यों मनाया जाता है?

कृष्ण जी ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपने अत्याचारों से सभी को कष्ट पहुंचाने वाले कंस का वध का वध किया था, और प्रजा को भयमुक्त किया था। कंस वध के बाद भगवान श्री कृष्ण ने कंस के पिता, यानि अपने नाना 'राजा उग्रसेन' को पुनः मथुरा का राजा बनाया था।

साल 2024 में 'कंस वध' कब पड़ रहा है?

  • कंस वध 11 नवम्बर 2024, सोमवार को मनाया जाएगा।
  • दशमी तिथि 10 नवम्बर 2024 को 09:01 PM पर प्रारंभ होगी।
  • दशमी तिथि का समापन 11 नवम्बर 2024 को 06:46 PM पर होगा।

कंस वध का महत्व क्या है?

पौराणिक कथाओं में कंस को मथुरा के दुष्ट और अत्याचारी राजा के रूप में मान्यता दी गई है। भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार कृष्ण के रूप में जन्म लिया और कंस का वध करके अपने माता, पिता को कारागार से मुक्त कराया। तभी से 'कंस वध' का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। ये दिन उत्तर प्रदेश और मथुरा में विशेष रूप से मनाया जाता है, और कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

कंस वध की पौराणिक कथा

द्वापर युग में हुई एक आकाशवाणी भगवान कृष्ण के जन्म कारण बनी थी। इस आकाशवाणी के अनुसार कंस की मृत्यु देवकी की आठवीं संतान से होनी थी। कंस को पता था कि कृष्ण ही देवकी की आठवीं संतान है, इसलिए उसने कृष्ण को मारने के लिए कई षडयंत्र रचे, लेकिन वे सब विफल होते गए। वह बार-बार राक्षसों को कृष्ण का वध करने के लिए गोकुल भेजा करता था, लेकिन कृष्ण सबको परलोक भेज देते थे।

कंस को अपनी मृत्यु का भय इतना था कि वह किसी भी तरह कृष्ण का वध कर देना चाहता था, इसलिए उसने एक योजना बनाई। उसने एक उत्सव का आयोजन किया और कृष्ण और बलराम को उस उत्सव में आमंत्रित करने के लिए अक्रूर जी को गोकुल भेजा। उसकी योजना थी कि वह उत्सव के बहाने कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाकर उन्हें आसानी से मार डालेगा।

कृष्ण और बलराम अक्रूर जी के साथ मथुरा आए। कंस ने उन्हें मारने का सारा इंतजाम कर लिया था। उसने द्वार पर कुवलयापिड़ा नाम का एक हाथी खड़ा कर रखा था, जो बहुत हिंसक था। कंस ने महावत को समझा रखा था कि कृष्ण और बलराम जब द्वार पर आएं, तो वह हाथी के द्वारा उन्हें मौत के घाट उतार दे।

कुछ देर बाद जब कृष्ण-बलराम द्वार पर पंहुचे तो देखा कि रास्ते में एक हाथी खड़ा है। कृष्ण हाथी के पास गए और उसकी आँखों में गौर से देखने लगे। लेकिन हाथी उन्हें अपनी सूंड से मारने की कोशिश करने लगा। तब कृष्ण ने उसकी सूंड को धीरे से थपथपाया, और ऐसा करते ही उसके प्राण निकल गए।

जब कंस को पता चला कि उसकी हाथी वाली चाल असफल हो गई है, तो उसने चाणूर और मुष्टिक को बुलाया। ये दोनों पूरे मथुरा में मल्लयुद्ध के सबसे श्रेष्ठ पहलवान थे। कंस ने इन दोनों को कृष्ण और बलराम से मल्ल युद्ध करने और उन्हें मारने के लिए कहा।

अब मल्ल युद्ध आरंभ होने वाला था और इसे देखने के लिए बहुत सारे लोग वहां पर एकत्रित हुए। चाणूर के साथ कृष्ण और मुष्टिक के साथ बलराम लड़ने लगे। कृष्ण ने चाणूर के दोनों हाथों को पकड़कर उसे हवा में घुमाया और जमीन पर पटक दिया। इससे पल भर में चाणूर के प्राण निकल गए।

बलराम ने मुष्टिक को एक जोरदार मुक्का मारा, जिससे उसके मुख से खून बहने लगा और वह जमीन पर गिरकर मर गया। यह देखकर वहां उपस्थित समस्त प्रजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और वे कृष्ण-बलराम के नाम का जयघोष करने लगे।

कंस यह देखकर बहुर क्रोधित हुआ। उसने अपने सैनिकों से कहा- देखते क्या हो? इन दोनों के टुकड़े-टुकड़े कर दो। लेकिन वहां पर यादव वंश के लोग भी उपस्थित थे, जो कंस के सैनिकों से भिड़ गए। चारों तरफ भगदड़ मच गयी। कंस ने भी कृष्ण को मारने के लिए अपनी तलवार उठा ली। लेकिन इसी बीच श्री कृष्ण कंस के पास जा पहुंचे और उसके केश पकड़कर उसे जमीन पर पटक दिया। फिर उन्होंने कंस की छाती पर मुष्टिका से एक प्रहार किया जिससे उसी क्षण कंस की मृत्यु हो गई।

इसके बाद श्री कृष्ण ने उग्रसेन, जो कंस के पिता थे, उन्हें पुनः मथुरा का राजा बना दिया और अपने माता-पिता को भी कारागृह से मुक्त कराया।

जिस दिन कृष्ण ने कंस का वध किया था, वो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी। तब से इस दिन को कंस वध के रूप में मनाया जाने लगा।

तो यह थी कंस वध से जुड़ी विशेष जानकारी एवं पौराणिक कथा। आइए हम सब इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाएं और भगवान कृष्ण की पूजा करें। व्रत-त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियां लगातार पाते रहने के लिये जुड़े रहिये 'श्री मंदिर' पर।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.