भगवान राम ने रावण को क्यों मारा?
Bhagwan Ram Ne Ravan Ko Kyu Maara?

भगवान राम ने रावण को क्यों मारा?

जानें इसके पीछे के धार्मिक और नैतिक कारण।


Bhagwan Ram Ne Ravan Ko Kyu Maara?

रावण के वध के पीछे सिर्फ़ सीता का अपहरण ही एक कारण नहीं था, बल्कि इसके पीछे कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। पुराणों के अनुसार इसके पीछे का कारण रावण को उसके अहंकार के चलते तपस्वी कन्या द्वारा मिला एक श्राप था। यह कथा उसमें की है जब रावण को भगवान शिव की तपस्या के फल स्वरुप एक खड्ग व अन्य उपहार वरदान स्वरुप मिले थे। ये वरदान मिलने के बाद रावण का अहंकार बढ़ने लगा था। उसे लगने लगा अब उसके लिए कुछ भी पाना असंभव नहीं है, और वो पूरे ब्रह्मांड में निर्भीक होकर भ्रमण करने लगा। एक बार रावण हिमालय के के घने जंगलों में पहुंचा, जहां उसकी दृष्टि एक सुंदर कन्या पर पड़ी। वो कन्या उस समय तपस्या में लीन थी, लेकिन उसे देखकर रावण का मन कामवासना से भर गया, और उसने तपस्या भंग कर दी।

रावण ने दुष्टतापूर्वक उस कन्या से उसकी पहचान पूंछी। इस पर कन्या ने गंभीरतापूर्वक उत्तर दिया- हे राक्षसराज, मेरा नाम वेदवती है। में महर्षि कुशध्वज की पुत्री हूं। जब मैं युवा हुई, तो देवता, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और नाग सभी मुझसे विवाह करना चाहते थे, लेकिन मेरे पिता की इच्छा थी मैं पति रूप में भगवान विष्णु का वरण करूं। इसी कारण से मैं यहां वन में तपस्या कर रही हूं। वेदवती ने आगे बताया कि मेरे पिता की इच्छा से क्रोधित होकर शंभू नमक दैत्य ने सोते समय उनकी हत्या कर दी। मेरे पिता की मृत्यु की शोक में मेरी माता ने भी उनके चित्र में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। अब मैं अकेली अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए तप कर रही हूं।

वेदवती की बात सुनकर रावण और क्रोधित हो गया, और अपने दोनों हाथों से कन्या के बाल पकड़कर खींचने लगा। इस पर भेजवती रावण को श्राप देते हुए कहा- तूने मेरे साथ जो अन्याय किया है, इसका परिणाम तुझे भुगतना होगा। मैं अभी अग्नि में समाहित हो रही हूं, किंतु मैं फिर से जन्म लूंगी, और उस समय तेरे अंत का कारण बनूंगी। इतना कहते हुए वेदवती ने अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।

इसके उपरांत तपस्विनी कन्या ने पुनः एक कमल के पुष्प से जन्म लिया। इस बार भी वो कन्या कमल के समान अत्यन्त कोमल व रूपवती थी। रावण ने जब उस कन्या को देखा तो वो पुनः उसकी ओर आकर्षित हो गया, और अपने बल का प्रयोग कर उसे महल में ले आया। लेकिन ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की, “यदि यह कन्या आपके महल में रही, तो यह आपकी मृत्यु का कारण बनेगी।” यह सुनकर रावण ने भयभीत होकर उस कन्या को समुद्र में फेंकवा दिया।

रावण संहिता के अनुसार, अगली बार वही कन्या राजा जनक को पुत्री रूप में प्राप्त हुई, और वेदवती के श्राप के अनुसार रावण के मृत्यु का कारण बनीं।

Ravan Ko Kaise Mila tha Amrit Kalash?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण ने अपने भाइयों कुंभकर्ण और विभीषण के साथ गोकुंड नामक स्थान पर जाकर कठोर तप किया था। उसने दस हज़ार वर्षों तक तप किया, और हर हज़ार वर्ष पूर्ण होने के बाद वो अपना एक सिर काटकर हवन कुंड में अर्पित कर देता था। नौ सिरों को अर्पित करने के बाद जब रावण दसवां सिर काटने जा रहा था, तभी ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुए, और वरदान मांगने को कहा।

इस पर रावण ने कहा- हे ब्रह्मदेव मुझे अमरत्व का वरदान दीजिए। तब ब्रह्मा जी बोले- हे रावण अमरत्व किसी को प्राप्त नहीं हो सकता, किंतु मैं तुम्हें एक ऐसा वरदान दे रहा हूं, जिससे तुम्हारी मृत्यु असंभव हो जाएगी। देव-दानव कोई तुम्हारा वध नहीं कर पाएगा। ब्रह्मा जी ने रावण की नाभि में अमृत कलश स्थापित कर दिया, जिससे रावण की मृत्यु तब तक असंभव हो गई, जब तक वो अमृत नष्ट नहीं हो जाता।

यही कारण था कि सीता हरण के बाद युद्ध में रवान का वध करना कठिन हो रहा था। तब विभीषण ने भगवान श्री राम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत कलश है, जिसे नष्ट किए बिना उसका वध नहीं किया जा सकता। ये रहस्य जानने के बाद राम ने रावण की नाभि पर बाण मारकर अमृत कलश को नष्ट कर दिया, और रावण की मृत्यु हो गई।

Bhagwan Ram Ne Ravan Ko Kyu Maara: FAQs

प्रश्न: श्री राम ने रावण का वध क्यों किया था?

उत्तर: श्री राम ने रावण का वध केवल सीता का हरण करने के कारण नहीं किया था, बल्कि इसके पीछे रावण को अतीत में मिले श्राप, उसके द्वारा किए गए पाप व अहंकार शामिल थे।

प्रश्न: रावण ने मरते समय तीन बातें कौन सी बताई थी?

  • रावण ने मरते समय तीन महत्वपूर्ण बाते बताई थीं:
  • शुभ कार्य में कभी देरी नहीं करनी चाहिए।
  • दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
  • अपने राज़ अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को भी नहीं बताना चाहिए।

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