मधुमेह का आयुर्वेदिक इलाज

मधुमेह का आयुर्वेदिक इलाज

मधुमेह का रामबाण इलाज है ये जड़ी-बूटियां


डायबिटीज यानी मधुमेह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है। इसमें पीड़ित के शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इसके कारण व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है जिससे शरीर की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती है।

इसे आसान भाषा में ऐसे भी कह सकते हैं, जब हमारा शरीर खून में मौजूद शुगर की मात्रा को सोखने में असमर्थ हो जाता है, उसे डायबिटीज कहते हैं। हमारे शरीर में इंसुलिन का बनना बहुत जरूरी है, इसी से रक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज का संचार होता है।

मधुमेह में बार-बार पेशाब आता है। इसके अलावा बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगता है। यदि सही समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। वर्तमान समय में डायबिटीज होना बहुत ही आम बात हो गई है। पहले यह ज्यादातर 40 से 50 साल के लोगों को होता था, लेकिन अब इसके होने के लिए कई उम्र नहीं रह गया है। बीते कुछ वर्षों में कई बच्चों में भी डायबिटीज की शिकायत सामने आई है।

डायबिटीज के कारण

मानव शरीर में पैंक्रियाज नामक ग्रंथि के ठीक से काम न करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, पैंक्रियास ग्रंथि से विभिन्न हार्मोन निकलते हैं, इनमें दो मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसके कारण शरीर के रक्त में कोशिकाओं को शुगर मिलती है।

जब इंसुलिन हार्मोन का निर्माण कम कर देता है तो डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शुगर की मात्रा अधिक हो जाता है, जमा होते चला जाता है और मूत्र के जरिए निकलने लगता है। यहीं कारण है कि डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आता है।

डायबिटीज को वैसे अनुवांशिक रोग बताया गया है। यानी यदि परिवार के किसी सदस्य मां-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को है तो इसका खतरा बढ़ जाता है। कई केस में मोटापा भी डायबिटीज के लिए जिम्मेदार माना गया है। समय पर खाना न खाने या ज्यादा जंक फूड खाने से मोटापा बढ़ता जो डायबिटीज का कारण बन सकता है।

डायबिटीज यानी मधुमेह के प्रकार

डायबिटीज दो प्रकार के होते हैं। टाइप-1 डायबिटीज में पीड़ित के शरीर में इंसुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है। जिसे बाहर से इंसुलिन देकर नियंत्रित किया जा सकता है। यह बच्चों और 18-20 साल तक के युवाओं को प्रभावित करता है।

टाइप-2 डायबिटीज में पीड़ित का शरीर इंसुलिन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसमें शरीर इंसुलिन बनता तो है, लेकिन बहुत ही कम मात्रा में बनाता है। जो कई बार अच्छे से काम भी नहीं करता है।

डायबिटीज यानी मधुमेह का लक्षण

मधुमेह में शरीर का ग्लूकोज बढ़ने के साथ कई प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं। जैसे बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थका हुआ महसूस करना, अचानक वजन बढ़ना या कम हो जाना, आंखों की रोशनी कम हो जाना, घाव होने पर ठीक होने में काफी समय लगना मधुमेह का लक्षण हो सकता है।

डायबिटीज से बचने के घरेलू उपाय

वैसे मधुमेह का हमेशा के लिए ठीक होना मुश्किल होता है, लेकिन खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ केस में इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है। सही से और उचित आहार के साथ मधुमेह में होने वाले जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।

इसके लिए पीड़ित को हरी सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तोरई, पालक, मेथी, गोभी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। आलू और शकरकंद से दूर ही रहना चाहिए। इसके अलावा फल में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरूद का सेवन करना चाहिए। आम, केला, लीची, अंगूर और मीठे फल कम से कम खाना चाहिए।

सूखे मेवा में बादाम, अखरोट, अंजीर खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे किशमिश, छुहारा, खजूर का सेवन बिल्कुल न करें। चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चॉकलेट का सेवन भी बिल्कुल न करें। एक बार में ज्यादा खाना न खाकर थोड़ी-थोड़ी देर में खाना खाना चाहिए।

मधुमेह को कंट्रोल करने के घरेलू नुस्खे

शुगर के मरीज को मधुमेह को गलती से भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। शुगर यानी डायबिटीज के इलाज के लिए कुछ घरेलू उपाय या आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डायबिटीज के इलाज के लिए घरेलू उपायों के बारे में...

तुलसी

तुलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में इंसुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक करता है। इसके लिए डायबिटीज के रोगी को रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट खाना चाहिए।

अमलतास

अमलतास की पत्तियां मधुमेह को कंट्रोल करने में बहुत उपयोगी है। इसके लिए अमलतास की पत्तियों को धोकर उनका रस निकाल एक चौथाई कप प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से शुगर कंट्रोल में आ जाता है।

सौंफ

नियमित तौर पर खाना खाने के बाद सौंफ खाने से भी डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

करेला

करेले को शुगर के रोगियों के लिए सबसे कारगर दवा माना गया है। करेले का जूस शरीर में शुगर की मात्रा को कम करता है। मधुमेह पीड़ितों को शुगर को नियंत्रण में लाने के लिए करेले का जूस नियमित रूप से पीना चाहिए। करेले में टमाटर और खीरा का जूस मिलाकर पीने से और बेहतर परिणाम मिलता है।

शलजम

शलजम मधुमेह कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद होता है। शलजम को सलाद या सब्जी बनाकर खाना चाहिए। शुगर के इलाज के दौरान शलजम का सेवन काफी लाभदायक होता है।

अलसी के बीज

सुबह खाली पेट अलसी के बीज का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से मधुमेह में आराम मिलता है। असल में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो शरीर के फैट और शुगर को कंट्रोल करने में सहायक होता है।

मेथी

मेथी डायबिटीज को कंट्रोल करने में काफी मददगार है। इसके लिए मेथी के दाने को रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में डालकर रख दें। अगली सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं और मेथी के दानों को चबाकर खा जाएं। ऐसे नियमित रूप से करने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।

जामुन

जामुन फल में काला नमक लगाकर खाने से ब्लड में शुगर की मात्रा कंट्रोल में रहती है। जामुन डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए बहुत ही अचूक दवा के रूप में माना जाता है।

आंवले का रस

आंवले को डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है। 10 मिलीग्राम आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पाउडर में मिलाकर दिन में दो बार लेने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलता है।

सहजन का पत्ता

सहजन के पत्तों के सेवन से डायबिटीज के रोगियों को भोजन पचाने में मदद मिलता है। ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखता है।

नीम

नीम के पत्तों में इंसुलिन रिसेप्टन सेंसिटिविटी बढ़ाने वाला गुण होता है। इससे शिराओं और धमनियों में रक्त प्रवाह सुचारू होता है। डायबिटीज के लक्षण दिखते ही नीम के पत्तों के जूस का सेवन शुरू कर देना चाहिए। रोजाना सुबह खाली पेट नीम के पत्तों का जूस पीने से डायबिटीज कंट्रोल में रहता है।

डायबिटीज बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसलिए हमें इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर और जानकार के सलाह पर घरेलू उपाय के साथ इलाज कराते रहना चाहिए।

Disclaimer: यह लेख सामान्य रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर है। अगर इन घरेलू उपायों के बाद किसी तरह की परेशानी महसूस करते हैं, तो इसे बिल्कुल न करें और तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें। कोशिश करें कि ये सभी उपाय किसी जानकार शख्स के देख-रेख में करें।

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