पढ़ें भगवान श्री विष्णु के मंत्र: अर्थ और लाभ
यहाँ विष्णु मंत्रों के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या दी गई है, जो अलग-अलग उद्देश्यों जैसे ध्यान, भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये मंत्र अपनी लंबाई और भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों पर आधारित होते हैं। आइए इनके मुख्य प्रकारों को समझें:
यहाँ विष्णु मंत्रों के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या दी गई है, जो अलग-अलग उद्देश्यों जैसे ध्यान,
भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये मंत्र अपनी लंबाई और भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों पर आधारित होते हैं। आइए इनके मुख्य प्रकारों को समझें:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
इस मंत्र के जाप करने से मन शांत रहता है। उसमें दया भावना जागृत होता है और दूसरों के प्रति प्रेम भाव बढ़ता है।
इस मंत्र के जाप करने से मन शांत रहता है। उसमें दया भावना जागृत होता है और दूसरों के प्रति प्रेम भाव बढ़ता है।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।
क्रम | सामग्री |
01 | क्या आपको पता है कि भगवान श्री हनुमान का जन्म कैसे हुआ? |
02 | भगवान श्री राम की पूजा आराधना करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। |
03 | क्या आपको पता है कि भगवान श्रीहनुमान का जन्म कैसे हुआ? |
04 | क्या आपको पता है कि भगवान श्री हनुमान का जन्म कैसे हुआ? |
05 | क्या आपको पता है कि भगवान श्री हनुमान का जन्म कैसे हुआ? |
06 | क्या आपको पता है कि भगवान श्री हनुमान का जन्म कैसे हुआ? |
इस मंत्र के जाप करने से मन शांत रहता है। उसमें दया भावना जागृत होता है और दूसरों के प्रति प्रेम भाव बढ़ता है।
इस मंत्र के जाप करने से मन शांत रहता है। उसमें दया भावना जागृत होता है और दूसरों के प्रति प्रेम भाव बढ़ता है।
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मांस-मदिरा का सेवन करने के बाद कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। घर में अगर किसी की मृत्यु हुई है तो सूतक काल तक हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। बिना नहाए हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी आपको बचना चाहिए।
मांस-मदिरा का सेवन करने के बाद कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। घर में अगर किसी की मृत्यु हुई है तो सूतक काल तक हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। बिना नहाए हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी आपको बचना चाहिए।
मांस-मदिरा का सेवन करने के बाद कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। घर में अगर किसी की मृत्यु हुई है तो सूतक काल तक हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। बिना नहाए हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी आपको बचना चाहिए।